Monday, April 13, 2009

कल ही की बात है ...

कल ही की बात हैजो तुम हमारे थे
ना जाने क्या हुआ, हम हो गये जुदा
दोनो में आ गये, क्यूँ हैं ये फ़ासले
खुशियाँ थीं कल मगर, अब हैं शिकवे-गिले

कल ही की बात है ...

कल ही की बात है, तुम थे जब मेरे पास
कुछ भी नहीं है अब, जो तुम नहीं हो साथ
तनहा अब तेरे बिन, लगती है ज़िन्दगी
दिन तो कट जाते हैं, रातें कटती नहीं

कल ही की बात है ...

कल ही की बात है, आँखों में ख्वाब थे 
चाहत के सँग-सँग, दिल में अरमान थे 
सारे सपने वोह आज, अश्कोँ में बह गये 
टुकडे अरमानों के, बाकी बस रह गये  

कल ही की बात है ...

2 comments:

Divya Prakash said...

बहुत ही अच्छा लगा रहा है कि पूरी पोस्ट हिंदी मैं सो भी हिंदी कविता .... कॉलेज में तरस ही गए तुम से हिंदी कविता सुन ने को .....
Anyways very well written but i guess second stanza could be written better...

Regards
Divya Prakash Dubey
http://www.youtube.com/watch?v=oIv1N9Wg_Kg

Dheeraj / Ankita said...

hmmm ... thanx for the comment DP bhaiya :)
always feels great when receive a remark from your end regarding my poetic posts ... esp. the ones in Hindi ...
guess, I've got so much to learn from u on that front .. actually, have never written much in Hindi / Urdu ... have always been more comfortable painting the canvas with words in the Firangi language :)